Sunday, June 29, 2008

बात न करो

बात न करो


लामज़हबों की दुनिया में मज़हब की बात न करो,

वो तो ख़ुदा को नहीं बख्शते इंसां की बात न करो


कौन सुनेगा फरियाद किसी की मसरुफ जो ठहरे,

जब दौर-ए-गर्दिश हो इंसाफ की बात न करो


मेरी दहलीज़ पर हंगामें डेरा डाले बैठे रहे,

दौर-ए-नाशाद में शाद की बात न करो


जिस्म का मर्ज़ और दिल का दर्द बताऊँ किसे,

उसने कहा मेरी सुनो अपनी बात न करो


दुनिया बेरहम-ओ-बेरुखी के क़ायदे पढ़ती है,

ऐसे में तहय्युर-ओ-तज़वीज़ की बात न करो


कल नज़र उठा के देखा तदबीर तो मौजूद थी,

मनसब ठीक न हो उम्मीद की बात न करो


"रत्ती" घिर गये हो तुम सेहरा के जंगलों में,

रेत ही मयस्सर होगी पानी की बात न करो

शब्दार्थ-

लामज़हब = नस्तिक, नाशाद = दुख,

मनसब = लक्ष्य, मसरूफ = व्यस्त शाद = सुख,

तहय्युर = बदलाव, सेहरा = मरुस्थल तज़वीज़ = राय।

मयस्सर = उपलब्ध

Wednesday, June 18, 2008

दिल

दिल
जैसा भी है हमारा दिल ही तो है,
दिल ही तो है, बेचारा दिल ही तो है।
दिल पिघलने की चीज़ होती तो,
कब का पिघल गया होता,
ये तो शोला है, आग का गोला है,
ख़ुद जलता है, दूसरों को जलाता है,
बिना चिन्गारी के ही भड़क जाता है,
इतना ताप तो सूरज में भी नहीं,
ऐसा बर्फ का टुकडा़ देखा है कहीं,
क्या कहूँ ये तो भोला है, मासूम है,
कभी किसी से प्यार तो,

किसी से तक़रार करता है,
किसी ने ठेस लगायी तो,
अन्दर ही अन्दर सिसकीयाँ भरता है,
जैसा भी है, हमारा दिल ही तो है।
दिल ही तो है .....

Monday, June 16, 2008

जप हरि नाम - भजन

जप हरि नाम - भजन

जप हरि नाम तू प्यारे,
कमाई कर ले तू प्यारे।
जप हरि नाम .....

रतन जो राम-नाम का,
मीरा ने था कभी पाया।
रतन जो राम-नाम का,
तुलसी ने था पाया।
उसी पथ पर चलो तुम भी,
न भटको ओर कही प्यारे।
जप हरि नाम .....

है दुर्लभ मानुष देही,
न करना तू ज़रा देरी ।
है दुर्लभ मानुष देही,
न करना तू हेरा - फेरी ।
भूला दे जो समय बीता,
बचा जो भज ले तू प्यारे।
जप हरि नाम .....

गुरु की शरण में तू जा,
जीवन सफल कर अपना।
गुरु से प्रेम रस पाकर,
जीवन धन्य कर अपना।
वो मालामाल कर देगा,
"रत्ती" तू भी भज प्यारे।

जप हरि नाम तू प्यारे,
कमाई कर ले तू प्यारे।

Monday, June 2, 2008

अच्छा लगता है

अच्छा लगता है

ज़रा-ज़रा ख़ार, थोडा़-थोड़ा प्यार अच्छा लगता है ।

तेरा रुठना, मेरा मनाना, अच्छा लगता है।

तेरा दूर रहना, मेरा पास आना, अच्छा लगता है।

कभी नख़रा तो, कभी बहाना, अच्छा लगता है।

तेरा नज़रें चुराना, मेरा नज़रें बचाना, अच्छा लगता है।

कुछ सुनना, कुछ सुनाना, अच्छा लगता है।

तेरा गिले, मेरा शिकवे टकराना, अच्छा लगता है।

तेरा खट्टी बातें, मेरा मीठा बनाना, अच्छा लगता है।

तेरा नज़रों से, मेरा इशारों से बुलाना, अच्छा लगता है।

तेरा मुस्कुराना, मेरा खिलखिलाना, अच्छा लगता है।

तेरा भूलना, मेरा याद दिलाना, अच्छा लगता है।

तेरा सपनें देखना, मेरा सपनें सजाना, अच्छा लगता है।

तेरा जीतना, मेरा हार जाना, अच्छा लगता है।

तेरी सरगम, मेरा गीत गाना, अच्छा लगता है।

तेरा ज़ख्म देना, मेरा मरहम लगाना, अच्छा लगता है।

तेरा ग़मों को पकाना, मेरा ग़मों को खाना, अच्छा लगता है।

तेरा हुक्म, मेरा उसे बजाना, अच्छा लगता है।

तेरा प्यार देना, मेरा प्यार पाना, अच्छा लगता है।

कुछ समझना, कुछ समझाना, अच्छा लगता है।

कुछ सीखना, कुछ सीखाना, अच्छा लगता है।

"रत्ती" प्यार का बदला, प्यार नज़राना, अच्छा लगता है।