हर दिन ना होता जश्न भरा ना लम्हा लगता है,
है भीड़ यहाँ फिर भी हर शख्स तनहा लगता है
दर्दे-दिल क्या होता है पत्थर दिल क्या जानें,
हर बार मुझे प्यार फक़त धोखा लगता है
मैं कू-ए-यार गया तो था नज़राना देने,
आँख उठा के ना देखा वो रूठा लगता है
वो चाँद बड़ा शातिर है भोला ना मानो रे,
हँसता है डसता है फिर भी अच्छा लगता है
हर सिम्त यहाँ महफ़िल में चर्चे होते रहते
"रत्ती" हो कोई बात नयी मजमा लगता है