Thursday, April 14, 2016

राम ही सर्वत्र है

राम ही सर्वत्र है               



राम इत राम उत
राम ही सर्वत्र है 
ये बात जान ले 
पल्ले बांध ले 
मान ले 


राम ही हर साँस में 
रोम-रोम में 
ध्यान कर ले 
ठान ले 


जग बिच घोर अँधेरा 
मन को टटोल 
अंतर पट खोल  
मान ले


संत की संगत में 
बहती प्रेम धरा 
धोवे पाप सारा 
ज्ञान ले

निज मन पे काबू 
"रत्ती" कर सीख 
न मांग भीख 
जान ले